फ्लोटिंग बनाम फिक्स्ड ब्याज दर: भारत में क्या चुनें? (Floating vs Fixed)
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फ्लोटिंग बनाम फिक्स्ड ब्याज दर: भारत में क्या चुनें? (Floating vs Fixed)

क्या आपको रेपो रेट से जुड़ी फ्लोटिंग दर चुननी चाहिए या सुरक्षित फिक्स्ड दर? भारतीय बाजार के लिए 2025 गाइड।

फ्लोटिंग बनाम फिक्स्ड ब्याज दर: भारत में क्या चुनें?

जब आप भारत में होम लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो सबसे पहला सवाल होता है: ब्याज दर (Interest Rate) कैसी होगी? आपके पास दो मुख्य विकल्प हैं: फ्लोटिंग (Floating) और फिक्स्ड (Fixed)

गलत चुनाव करने पर आप अपने लोन की अवधि में लाखों रुपये अधिक चुका सकते हैं।

मुख्य निष्कर्ष (Key Takeaways)

  • फ्लोटिंग दर: आरबीआई (RBI) के रेपो रेट से जुड़ी होती है। यह बदलती रहती है। आमतौर पर सस्ती होती है।
  • फिक्स्ड दर: पूरे कार्यकाल के लिए स्थिर रहती है। फ्लोटिंग से 1-2% महंगी होती है।
  • प्रीपेमेंट पेनल्टी: फ्लोटिंग लोन पर कोई पेनल्टी नहीं होती। फिक्स्ड लोन को बंद करने पर जुर्माना लग सकता है।

1. फ्लोटिंग ब्याज दर (Floating Interest Rate)

भारत में 90% से अधिक होम लोन फ्लोटिंग रेट पर होते हैं। अक्टूबर 2019 से, सभी नए फ्लोटिंग रेट लोन रेपो रेट (Repo Rate) जैसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े होते हैं (EBLR)।

  • फायदा: जब आरबीआई दरें कम करता है, तो आपकी ईएमआई (EMI) तुरंत कम हो जाती है।
  • नुकसान: जब महंगाई बढ़ती है और आरबीआई दरें बढ़ाता है, तो आपकी ईएमआई बढ़ जाती है या लोन की अवधि (Tenure) बढ़ जाती है।
  • बड़ा लाभ: आरबीआई के नियमों के अनुसार, फ्लोटिंग रेट लोन को समय से पहले बंद करने (Foreclosure) या एक्स्ट्रा पेमेंट करने पर कोई जुर्माना (Zero Penalty) नहीं लगता। यह कर्ज मुक्त होने के लिए बहुत जरूरी है।

2. फिक्स्ड ब्याज दर (Fixed Interest Rate)

बैंक आपको एक निश्चित दर की गारंटी देता है।

  • फायदा: सुरक्षा। बाजार में चाहे जो हो, आपकी ईएमआई नहीं बदलेगी। बजट बनाना आसान है।
  • नुकसान:
    1. महंगा: यह फ्लोटिंग रेट से आमतौर पर 1% से 2% ज्यादा होती है।
    2. पेनल्टी: अगर आप लोन जल्दी चुकाना चाहते हैं, तो बैंक अक्सर 2-4% प्रीपेमेंट पेनल्टी वसूलते हैं।
    3. सेमी-फिक्स्ड: कई "फिक्स्ड" लोन वास्तव में केवल 2-3 साल के लिए फिक्स होते हैं, उसके बाद वे फ्लोटिंग बन जाते हैं। शर्तों को ध्यान से पढ़ें।

3. 2025 में क्या करें?

भारत में ब्याज दरें चक्र (Cycle) में चलती हैं।

  • यदि दरें अपने चरम (High) पर हैं और गिरने की उम्मीद है -> फ्लोटिंग चुनें (ताकि भविष्य में लाभ मिले)।
  • यदि दरें बहुत कम हैं और बढ़ने वाली हैं -> फिक्स्ड (हाइब्रिड) पर विचार करें।

वर्तमान में, चूंकि फ्लोटिंग दरें कम हैं और प्रीपेमेंट की सुविधा देती हैं, वे अधिकांश भारतीय उधारकर्ताओं के लिए बेहतर विकल्प हैं। फिक्स्ड रेट केवल तभी चुनें यदि आप जोखिम बिल्कुल नहीं लेना चाहते और उच्च प्रीमियम चुकाने को तैयार हैं।


4. निष्कर्ष

गणित स्पष्ट है: फ्लोटिंग रेट चुनें, और प्रीपेमेंट की शक्ति का उपयोग करें। फिक्स्ड रेट की उच्च लागत और पेनल्टी अक्सर सुरक्षा के लाभ से अधिक होती है।

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